भोपाल
कांग्रेस में पार्षदों के टिकटों के ऐलान के बाद सभी जगह पर विरोध के सुर उभर कर सामने आए हैं। जिन्हें टिकट नहीं मिला वे नेता एवं दावेदार सोशल मीडिया से लेकर नेताओं को फोन कर अपनी भड़ास निकालने के साथ नाराजगी जता रहे हैं। इनमें से कुछ लोग बगावत कर निर्दलीय भी चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। इनता विरोध देखने के बाद कांग्रेस के आला नेता सकते में आ गए हैं। अब इन्हें मानने के लिए स्थानीय विधायकों और जिला प्रभारियों को आगे किया जा रहा है।
भोपाल नगर निगम पार्षदों की उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद जबरदस्त विरोध सामने आया है। हर विधानसभा क्षेत्र से विरोध सोशल मीडिया पर दिखाई दे रहा है। जिन्हें टिकट नहीं मिला हैं, उनमें से अधिकांश ने नाम निर्देशन पत्र भी जमा कर दिए हैं। ऐसे में उनके नामांकन वापिस करवाना टेडी खीर साबित होगा। इसलिए भोपाल के मध्य, दक्षिण-पश्चिम और उत्तर क्षेत्र की नाराजगी यहां के विधायकों को दूर करना होगी। वहीं बाकी के क्षेत्र में जिला प्रभारी लखन घनघोरिया को आगे किया जाएगा। कुछ स्थानीय नेता भी नाराज नेताओं को मनाने का काम करेंगे।
इधर उज्जैन में भी जबरदस्त विरोध देखने को मिल रहा है। जहां पर महापौर उम्मीदवा महेश परमार पर ही अपने समर्थकों को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिलाने के आरोप लग रहे हैं। सोशल मीडिया पर नाराज नेता जमकर पार्टी के नेताओं को भी कोस रहे हैं। इसी तरह की स्थिति रतलाम, खंडवा, कटनी, सिंगरौली, सतना में भी बनी हैं। यहां पर भी टिकट दिलाने वाले स्थानीय और बड़े नेताओं को जमकर कोसा जा रहा है।
सकते में आई पार्टी
अब इन सब की नाराजगी देखकर कांग्रेस सकते में आ गई है। प्रदेश कांग्रेस इस नाराजगी को हर हालत में दूर करने की रणनीति पर काम कर रहा है। हालांकि यह स्थिति बनेगी इसका अंदेशा कांग्रेस को पूर्व से ही था। इसलिए उसने पहले ही क्षेत्र के विधायक और जिला प्रभारियों को इसके लिए तैयार रखा है। साथ ही जिन नेताओं की सिफारिश पर टिकट दिए गए हैं, उनसे जीत की गारंटी भी ली जा रही है। वैसे यह औपचारिकता कांग्रेस पिछले चुनाव में भी कर चुकी है,लेकिन उसके बाद भी उसके नगरीय निकाय चुनाव में अच्छी सफलता नहीं मिली थी।