MP में आशा, ऊषा कार्यकर्ताओं और आशा पर्यवेक्षकों को सेवानिवृत्ति पर मिलेंगे 1 लाख रुपए, सीएम शिवराज की घोषणा

 

मध्‍य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह ने आज भोपाल में एक अहम घोषणा की है। इसमें उन्‍होंने कहा है कि प्रदेश में आशा,
ऊषा कार्यकर्ताओं और आशा पर्यवेक्षकों को सेवानिवृत्ति पर 1 लाख रुपए दिए जाएंगे। वे लाल परेड ग्राउंड, भोपाल में
आयोजित आशा, ऊषा और आशा पर्यवेक्षक कार्यकर्ताओं के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।उन्‍होंने कहा, स्वास्थ्य विभाग की समस्त गतिविधियों में भाग लेकर अभियानों को सफल बनाना हो, तो हमारे पास एक ही नाम होता है… “आशा बहनें”।

 

बहुत सारे काम मेरी आशा बहनों के जिम्मे हैं…। कोविड काल में हमारी आशा और ऊषा बहनों ने अपनी जान हथेली पर
रखकर दूसरों की जिंदगी बचाने का काम किया, बहनों को प्रणाम!

 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा है कि आशा और ऊषा कार्यकर्ता स्वास्थ्य विभाग की पर्याय बनकर उभरी हैं। गाँव में आशा बहनें एवं शहरों में ऊषा बहनें स्वास्थ्य सेवाएँ देती हैं। आशा और ऊषा बहनों ने ग्राम आरोग्य केन्द्रों के माध्यम से प्राथमिक उपचार, दवाओं का वितरण, रोग नियंत्रण की निगरानी और स्वास्थ्य विभाग की समस्त गतिविधियों में भाग लेकर अभियानों को सफल बनाने में सहयोग किया है। साथ ही कोविड के समय अपनी जान हथेली पर रखकर दूसरों की जिन्दगी बचाने का कार्य भी किया है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की प्रमुख घोषणाएँ

आशा, ऊषा बहनें और आशा पर्यवेक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष की जाएगी।

आशा कार्यकर्ता और पर्यवेक्षकों को मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ दिया जाएगा।

प्रत्येक आशा और ऊषा बहनों को मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना में सम्मिलित किया जाएगा।

आशा पर्यवेक्षकों का मानदेय बढ़ाकर 13,500 रूपए किया जाएगा।

आशा पर्यवेक्षकों के मानदेय में प्रतिवर्ष बढ़ोत्तरी की जाएगी।

आशा, ऊषा बहनों का मानदेय 2 हजार से बढ़ाकर 6 हजार रूपए किया जाएगा।

आशा, ऊषा बहनों को मिलने वाले मानदेय में प्रतिवर्ष 1000 रूपए की वृद्धि की जाएगी।

आशा, ऊषा बहनों तथा आशा पर्यवेक्षकों को सेवानिवृत्ति के बाद एक लाख रूपए दिए जाएंगे।

आशा, ऊषा बहनों तथा आशा पर्यवेक्षकों को 5 लाख रूपए का चिकित्सा तथा दुर्घटना बीमा करवाकर दिया जाएगा।

बिना गंभीर लापरवाही के किसी को सेवा से पृथक नहीं किया जाएगा।

आकस्मिक अवकाश दिया जाएगा।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह आज लाल परेड ग्राउण्ड में आशा, ऊषा कार्यकर्ता और आशा पर्यवेक्षकों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, अन्य जन-प्रतिनिधि, निर्धन वर्ग कल्याण आयेाग के अध्यक्ष श्री शिव कुमार चौबे, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य मोहम्मद सुलेमान, स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. सुदाम खाड़े उपस्थित थे।

आशा और ऊषा बहनों का कार्य सराहनीय

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि आशा-ऊषा बहनों का कार्य सराहनीय है। आशा-ऊषा बहनें घर-घर सर्वे, बच्चों के जन्म प्रमाण-पत्र बनवाने, गर्भवती माताओं के रिकार्ड, टीकाकरण, सुरक्षित संस्थागत प्रसव, नवजात शिशुओं की देखभाल, समस्त आयु वर्ग के बच्चों का टीकाकरण, ग्राम स्वास्थ्य की सेवाओं में सहयोग, विवाहितों को छोटे परिवार के लिए प्रेरित करने, पोषण-आहार प्रदाय सहित विभिन्न कार्य दक्षता से करती हैं। आशा-ऊषा बहनें कैंसर, डायबिटीज तथा ब्लड प्रेशर के मरीजों की पहचान और उनका फॉलोअप कराने का कार्य करती हैं।

प्रदेश में मातृ और शिशु मृत्यु दर लगातार कम हो रही

 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का आभार माना

प्रदेश में आशा, ऊषा कार्यकर्ता और आशा पर्यवेक्षकों के हित में विभिन्न निर्णय करने के लिये मध्यप्रदेश आशा कार्यकर्ता एवं पर्यवेक्षक संगठन की अध्यक्ष विभा श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का आभार एवं धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा आशा, ऊषा कार्यकर्ता एवं पर्यवेक्षकों का मानदेय और सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाने, सेवानिवृत्ति के बाद एकमुश्त राशि देने और उन्हें स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ देने जैसे निर्णय सराहनीय हैं। इससे न केवल उनकी स्थिति बेहतर होगी, उनका मनोबल बढ़ेगा, अपितु वे अपने कार्य को बेहतर ढंग से कर सकेंगी।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि प्रदेश में मातृ और शिशु मृत्यु दर लगातार कम हो रही है। मातृ मृत्यु दर 498 से घटकर 173 रह गई है। शिशु मृत्यु दर 82 से घटकर 43 रह गई है। नेशनल हेल्थ सर्वे स्कीम में प्रदेश से 60 प्रतिशत बच्चे कम वजन के पाए गए थे, लेकिन नेशनल फैमिली हेल्थ-पाँच सर्वे में घटकर केवल 33 प्रतिशत रह गए हैं। अति गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या घटकर 12.6 से 6.5 प्रतिशत रह गई है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने निर्देश दिया कि आशा-ऊषा कार्यकर्ताओं को मिलने वाले इन्सेंटिव के कार्य का सरलीकरण किया जाए। जिला स्तर के साथ ही ब्लॉक स्तर पर इसकी व्यवस्था की जाए, जिससे जिलों में इन बहनों को भटकना न पड़े।