कॉस्मेटिक्स ब्रांड रेवलॉन इंक दिवालिया हने की कगार पर

न्यूयोर्क
 अमेरिका का मशहूर कॉस्मेटिक्स ब्रांड रेवलॉन इंक (Revlon Inc) काफी दिनों से मुश्किलों के दौर से गुजर रहा है। ये वही रेवलॉन है, जिसकी लिप्स्टिक (lipstick) के लिए लड़कियां दीवानी हैं। कभी हर लड़की की पहली पसंद मानी जाने वाली कंपनी रेवलॉन की हालत आज इतनी खराब हो चुकी है कि वह दिवालिया (bankruptcy) होने जा रही है। खबरें हैं कि कंपनी अपने बिजनस को बचाने के लिए कर्जदारों से बात कर रही है। यह भी कहा जा रहा है कि अगर बात नहीं बनी तो अगले हफ्ते कंपनी बैंकरप्सी के लिए आवेदन कर देगी। अब सवाल ये है कि जिस ब्रांड के लिए लड़कियां मरती थीं आखिर ऐसा क्या हो गया कि वह दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया है।

भयंकर मंदी के दौर में शुरू हुई थी ये कंपनी
इस कंपनी की शुरुआत अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में 1 मार्च 1932 को हुई थी। हैरानी की बात ये है इसकी शुरुआत दुनिया भर में भयंकर मंदी के दौर (1929-1939) में हुई। इसे चार्ल्स रेवसन और जोसेफ रेवसन नाम के दो भाइयों ने शुरू किया था। उनके साथ एक केमिस्ट चेरिस लैचमैन भी थे, जिनके नाम के 'L' को ब्रांड में शामिल किया गया। इसीलिए कंपनी का नाम रेवसन (Revson) के बजाय रेवलॉन (Revlon) रखा गया। रेवलॉन के 15 से ज्यादा ब्रैंड हैं जिनमें Elizabeth Arden और Elizabeth Taylor शामिल हैं। करीब 150 देशों में इनकी बिक्री होती है।

नेल पॉलिश से हुई शुरुआत
रेवलॉन की शुरुआत एक नेल पॉलिश से हुई थी। कंपनी के तीनों फाउंडर्स ने मिलकर एक खास तरह की नेल पॉलिश तैयार की, जो डाई (Dye) के बजाय पिगमेंट्स (Pigments) से बनती थी। बता दें कि डाई पानी में घुल जाती है, जबकि पिगमेंट्स ऐसे रंग होते हैं जो पानी में नहीं घुलते। ऐसे में पिगमेंट्स से बनी नेलपॉलिश पर पानी का असर नहीं होता था और वह अधिक दिनों तक चलती थी। लोगों को यह खूब पसंद आने लगी और रेवलॉन की नेलपॉलिश को वह तीनों फाउंडर तमाम डिपार्टमेंटल स्टोर और फार्मेसी में बेचने लगे।

 

भयंकर मंदी के बीच कंपनी बन गई मल्टीमिलियनेर
रेवलॉन कंपनी भयंकर मंदी के दौर में ही मल्टीमिलियनेर बन गई। सिर्फ 6 सालों में ही कंपनी ने अरबों रुपये कमा लिए। 1940 में कंपनी ने नाखूनों से बहुत सारे प्रोडक्ट ऑफर कर दिए। साथ ही उन्होंने लिप्स्टिक के सेगमेंट में भी कदम रख दिया। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान कंपनी ने अमेरिकी सेना के लिए मेकअप और उससे जुड़े तमाम प्रोडक्ट्स बनाए। इसकी वजह से कंपनी को 1944 में आर्मी नेवी ई अवॉर्ड ( Army-Navy "E" Award) से सम्मानित भी किया गया। दूसरे विश्व युद्ध के अंत तक रेवलॉन अमेरिका की दूसरी सबसे बड़ी कॉस्मेटिक्स कंपनी बन गई।

कंपनी ने हर तरह के ग्राहक को यूं खींचा अपनी ओर
1960 में कंपनी ने कई डिवीजन पर फोकस करना शुरू किया। हर डिवीजन के जरिए कंपनी ने एक अलग मार्केट पर फोकस करने की रणनीति बनाई। इस रणनीति की प्रेरणा रेवलॉन के ऑटोमोबाइल कंपनी जनरल मोटर्स से मिली। कंपनी की तरफ से बनाए गए हर डिवीजन का टारगेट कस्टमर अलग था। पहला डिवीजन रहा रेवलॉन, जो सबसे लोकप्रिय ब्रांड है। दूसरा डिवीजन इलिजाबेथ अर्डेन इंक नाम से बनाया गया, जो कॉस्मेटिक्स स्किनकेयर और फ्रेगरेंस बनाने वाली सब्सिडियरी कंपनी बनी। तीसरा डिवीजन अल्टिमा-2 बनाया गया, जो एक प्रीमियम ब्रांड बना। इसके अलावा कंपनी ने फ्रेगरेंस के लिए ब्रिटनी स्पीयर्स फ्रेगरेंस ब्रांड भी बनाया।

एक के बाद एक अधिग्रहण करते हुए आगे बढ़ती गई कंपनी
रेवलॉन ने इसके बाद कई सारे अधिग्रहण किए और तमाम तरह के प्रोडक्ट भी बेचे। 1969 में Esquire Shoe Polish का अधिग्रहण कर के कंपनी ने जूते की पॉलिश बेची। कंपनी ने टॉयलेट क्लीनर के ब्रांड (Ty-D-Bol) को भी खरीद लिया। 1967 में यूएस विटामिन और फार्मास्युटिकल कॉरपोरेशन कंपनी के अधिग्रहण ने रेवलॉन को डायबिटीज की दवा के मामले में मार्केट लीडर बना दिया। 1970 में कंपनी ने Mitchum ब्रांड का अधिग्रहण कर लिया, जिसके बाद 1971 में शैंपू और कंडिशनर भी लॉन्च किए गए।

1985 में बिक गई रेवलॉन, 1996 में आया आईपीओ
5 नवंबर 1985 को रेवलॉन कंपनी 58 डॉलर प्रति शेयर के हिसाब से कुल 2.7 अरब डॉलर में Pantry Pride कंपनी को बेच दी गई। बाद में इस कंपनी का नाम बदलकर रेवलॉन ग्रुप इनकॉरपोरेशन कर दिया गया। यह कंपनी न्यूयॉर्क के अरबपति कारोबारी RonALD Perelman की कंपनी MacAndrews & Forbes की सब्सिडियरी कंपनी है। 28 फरवरी 1996 को रेवलॉन कंपनी न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हुई। इसके आईपीओ में प्रति शेयर की कीमत 24 डॉलर थी।