प्रथम पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि: ग्रामीण पत्रकारिता का सशक्त हस्ताक्षर रहे राजकुमार अवस्थी

भोपाल // कर्म और व्यवहार ही व्यक्तित्व की अमिट पहचान होते हैं। कुछ शख़्सियत अपने उत्कृष्ट कार्यों और मधुर व्यवहार से समाज के हर वर्ग का दिल जीतने वाले होते हैं। मध्य प्रदेश की हिंदी ग्रामीण पत्रकारिता में राजकुमार अवस्थी एक ऐसे ही सशक्त हस्ताक्षर रहे ।

राजधानी से करीब 35 किमी दूर रायसेन जिले के ग्राम तामोट में 18 जुलाई 1963 को जन्मे राजकुमार की परवरिश ग्रामीण परिवेश में हुई। इसके चलते ग्रामीण अंचल की समस्याओं से वह बखूबी वाकिफ थे। पत्रकारिता के पेशे में आने पर भी उन्होंने इसी क्षेत्र को चुना। करीब चार दशक के अपने सेवाकाल में उन्होंने ग्रामीण अंचल से जुड़ी समस्याओं को बखूबी उजागर किया।

राजकुमार ने अपनी पत्रकारिता का सफर 80 के दशक में भोपाल से प्रकाशित दैनिक भास्कर से शुरू किया। तब भास्कर का कार्यालय पुराने शहर के कोतवाली रोड पर हुआ करता था। व्यक्ति के जीवन में गुरु का महत्वपूर्ण योगदान होता है। एक उत्कृष्ट गुरु का सानिध्य समूचे व्यक्तित्व को बदल सकता है।

राजकुमार ऐसे ही भाग्यशाली व्यक्ति रहे जिन्हें प्रदेश की हिंदी पत्रकारिता में एक नवीन विधा का सूत्रपात करने वाले अपने दौर के ख्यातिनाम संपादक महेश श्रीवास्तव का सानिध्य मिला। उनके मार्गदर्शन में उन्होंने पत्रकारिता की बारीकियों को समझा व इन पर अमल भी किया।

90 के दशक के आसपास वह भोपाल से ही प्रकाशित एक अन्य समाचार पत्र दैनिक जागरण से जुड़े और एक लंबा वक्त इस संस्थान में गुजारा। यह वह दौर रहा,जब उन्होंने ग्रामीण पत्रकारिता को एक नई दिशा दी।

अपने मिलनसार व्यवहार से उन्होंने पत्रों से जुड़े ग्रामीण अंचल के संवाददाताओं से भी गजब का सामंजस्य स्थापित किया। वह उनकी कलम की ताकत भी बने। समाचार पत्रों के प्रादेशिक अंक में खबरों का चयन,इनका कुशल संपादन और इन्हें आकर्षक ढंग से प्रस्तुत करने में उन्हें महारत हासिल रही।

राजकुमार वक्त के साथ चलने व स्वयं को इसमें ढालने में भरोसा रखते थे। प्रदेश में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का दौर शुरू हुआ तो करीब एक दशक पूर्व वह इस माध्यम से भी जुड़े और राजधानी भोपाल से प्रसारित न्यूज़ ऑब्जर्वर चैनल में अपनी सेवाएं दी। उनके सहयोग से चैनल की दर्शक संख्या तेजी से बढ़ी। इस दौरान उन्होंने न केवल ग्रामीण बल्कि शहरी क्षेत्र की समस्याओं को भी अपनी धारदार लेखनी से उजागर किया।

कोरोना संक्रमण काल की पहली व दूसरी लहर के दौरान भी उन्होंने प्रभावितों की बात चैनल के माध्यम से सरकार तक पहुंचाने का भरसक जतन किया,लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ही वह स्वयं भी इसकी चपेट में आए और एक वर्ष पूर्व आज ही के दिन उन्होंने अंतिम सांस ली। राजकुमार ने ‘ यथा नाम तथा गुण ‘ वाला जीवन जिया। अब सिर्फ उनकी स्मृति ही शेष हैं। प्रथम पुण्य तिथि पर उन्हें सादर नमन।
रवि अवस्थी(अनुज)